तुं जिसे चाहे उसे बरबाद कर सकती हो Hindi Muktak By Naresh K. Dodia
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तुं जिसे चाहे उसे बरबाद कर सकती हो Hindi Muktak By Naresh K. Dodia
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तुं जिसे चाहे उसे बरबाद कर सकती हो
एक ही मुस्कान से शिकार कर सकती हो
एक तिल जो गाल पे हथियार की माफिक हैं
जब भी तुं चाहे ये इस्तेमाल कर सकती हो
- नरेश के. डोडीया
Labels:
Muktak
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