Ankhdi Chede Sargam Hraday De Taal Gujarati Gazal By Sunya Palanpuri

Ankhdi Chede Sargam Hraday De Taal Gujarati Gazal By Sunya Palanpuri
Ankhdi Chede Sargam Hraday De Taal Gujarati Gazal By Sunya Palanpuri
आंखडी छेडे सरगम, हृदय ताल दे, अंतरो गाय पंचमना सूरे गझल;
दर्द अंगडाइ ले, प्रेम झूमी ऊठे, रूप झणकावे पायल ने स्फुरे गझल.

दृश्य सर्जाय मोंघुं मिलननुं अने साथिया चांद-सूरजना पूरे गझल;
दोर गोझारो जामे विरहनो अने रातना घोर सन्नाटे झूरे गझल.

ऊर्मिओने कशुं क्यांय बंधन नथी,लागणी मुक्त छे स्थळ अने काळथी;
बुलबुलोए रची गुलशनोमां अने आम्र-कुंजोमां गाइ मयूरे गझल.

बे धडकता दिलोनी कहाणी बने, रंग भीनी करुणानी ल्हाणी बने,
प्रेम ने रूपनी दिव्य वाणी बने, तो ज पहोंची शके दूर दूरे गझल.

देहना कोडिये, प्राणनी वाटने, लोहीमां भींजवीने जो बाळी शको,
तो ज प्रगटी शके दर्दनी म्हेफिले, दिलने रोशन करे एवुं नूरे गझल.

जन्म-मृत्यु छे, मत्ला ने मक्ता उभय, श्वासना काफिया, जिंदगीनो विषय ;
रंग लौकिक छे पण अलौकिक लय , गाय छे ‘ शून्य’ खुदनी हजूरे गझल.
-‘शून्य’ पालनपुरी
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