Chabi Kavya Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
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| Chabi Kavya Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
चहेरापोथीमां बदलती तमारी छबी जोइने लाग्यु के
कोइ मुग्धाना हृदयमां थता प्रथम प्रेमोदयनी
सुकुमार भावोर्मिनुं मनभावन चित्र एटले तमारी छबी
प्रथम वरसादना झरमरीया आखी सृष्टिने भींजवे छे.
मोर,कोकिल,वादळ,मुग्धाथी लइने मध्या अने
काची कुंवारी ग्राम्य कन्यानी चुंदडी अने प्रियपात्रनी आंखो
जाणे संपूर्ण ऋतुओनुं भींजाईने नितरी जावुं एटले
बीजा अर्थमां कहुं तो अही प्रेमवर्षानी वात छे "महोतरमां"
क्यारेक तमे पण अकारण अने कह्या विनां
भादरवानां हाथियानी जेम अनराधार वरसोने व्हाला
व्यक्तिथी लईने सृष्टीनुं सळंग भींजाई गयेलुं आ
चित्र आखुं एवुं मनोहर दिसे छे के मने लागे के बस
ए चित्रनी साथे न्हाया ज करीए…न्हाया ज करीए
तमारा सुकोमळसा चहेराने बालसहज भावे निरख्या करू.
लज्जा भरेलुं तमारी आंखोनी कोमळ पापणॉ नमती होय
त्यारे कोइ मुग्धबाला शरमाती शरमाती लागे प्यारी प्यारी
त्यारे शोभी उठे छे तमारा नजाकती नेननी लीला अपंरपार
बें नेणनी नीचे बें आंखोने जोइने तादश लागे के जाणे
बे बे चन्द्रकला उगी नीकळी छे सुंदर मुखारविंदनां आकाशे
-नरेश के.डॉडीया
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Gujarati Kavita

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