एना मुखेथी उनुं उनुं सत्य नीकळी गयु Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
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एना मुखेथी उनुं उनुं सत्य नीकळी गयु Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
शीतलहर अने हिमप्रपातनी मौसममां
एना मुखेथी उनुं उनुं सत्य नीकळी गयु
अने उनां उनां सत्यनी भाप
एना चहेरा गोरंभाइ गइ..
स्निग्धता,भीनाश,सौंदर्यना त्रीवेणीकारमां
स्मितनी छलोछल ताजगी होठेथी
श्रीकार शब्दोमां नितरी आवी अने कह्यु..
“आपणा प्रेमने आटला वरसोमां एक पण
मौसमनी असर केम थाती नथी..,
एमां केम मौसम जेम बदलाव आवतो नथी?
बारेमास तु ने हुं एक सरखा मिजाजमां ढळीने
क्षणविलंबन विना मळता रहीए छीए..?
शीयाळामां रोज मारूं हुफाळु स्वागत करवा
शब्दोनु तापणु मारा माटे पेटावीने तैयार राखे छे
उनाळामां रोज सांजनी शीतळता भरीने
शब्दोने हवामां तरता मुकीने स्वागत माटे मोकले छे..
चोमासामां समी सांजे वरसादी उघाड जेवी ताजगी
साथे शब्दोनी भीनी छालकथी मारू स्वागत करे छे
"मे कह्यु के प्रेमनी कंइ मौसम थोडी होय..
के एनो मिजाज कुदरताधिन होय..?
प्रेम कंइ वरसाद थोडो छे के मनगमता प्रदेशने
भींजवे अने अणगमता प्रदेश दुकाळयो बनावे..
प्रेम कंइ प्रखर अने धीखतो ताप थोडो छे के
चामडीनी साथे आंखोंने बाळी नाखे..
प्रेम कंइ कातिल शीयाळॉ थोडॉ छे के शीतलहरनी साथे
हिमप्रपातमां बरफना थरो जमावीने
मनने थंडुगार बनावी जाय.."
तो महोतरमा कहे के तो प्रेम एटए शु?
एनी चश्मानी दांडी नाक परथी मे सहेज
नीचे उतारीने एनी आंखो साथे आंख मेळवीने कह्यु
“शीयाळॉ होय के,उनाळॉ होय के भरपूर चोमासु होय
मारा ह्रदयमां के तारा ह्रदयमांथी अभिव्यकितने कदी
मौसमनी असर थइ छे…?
बारेमास आपणी अभिव्यकित
एक सरखी नीकळ्या करे छे…एने मौसम नडे कदी?"
महोतरमा कहे,”ए तो जिंदगीना आखरी श्वास सुधी
बेउना ह्रदयमाथी ए ज बळकट प्रेमनी असरतळे
शब्दवेगे नीकळती रहेशे,
बारे महिना दरमियान एक पण दिवस एवो बतावो के
जे संवाद विहिन रह्यो होय.
अने लागणीओनी लेवड देवड ना थइ होय..?"
महोतरमा कहे,”बस बस…साचो प्रेम एटले प्रेम
एने कोइ बंधन के मौसम के धीक्कार नामनु
एक पण परिबळ नडतु नथी..
आपणो प्रेम एटले हु अने तु अने
आपणु पोतिकु शब्दनु विश्व…
ज्या हु राणी अने तु राजा..
प्रेमना नामे रहीए बारेमास ताजा
ने शब्दोनी औषधीथी पीने रहीए साजा
एक होवानी अनूभूति छे नक्कर
छो ने रहीए आपणे बंने आधा
-नरेश के.डॉडीया
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