तनहाइओ के इस सफर मे हमसफर मिलता नही Hindi Gazal By -नरेश के.डॉडीया
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| तनहाइओ के इस सफर मे हमसफर मिलता नही Hindi Gazal By -नरेश के.डॉडीया |
तनहाइओ के इस सफर मे हमसफर मिलता नही
ये जिंदगी के बाग मे अब कोइ गुल हसतां नही
वो चाहतो वाला जमाना,फिर से कहा से लांउ में
मेरी गजल में इश्क कां अलफाझ अब जचता नही
मेरी कदर उस ने कभी मेरे तरीके से न की
मेरी गझल मे दी सदा,वो शख्स अब सूनता नही
मेरा जमाना भी था कभी,वो दोर की में क्यां कहुं
मेरे पुराने दोर के किस्से यहां सुनता नही
जो जिंदगी अपने तरीके से जिना चाहा कभी
ये शायरी मे जो लिखा,जिंदगी मे बनता नही
वो एक पल मुजसे बिछडने कि कसम खा के गया
वो शख्स पूरी जिंदगी गुजरे तो भी दिखता नही
बस ये महोतरमा की यादो मे कलम चलती रहे
तकदीर के आगे कलम का सर कभी जुकता नही
-नरेश के.डॉडीया
Labels:
Hindi Gazals

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