कंठमां ज्यारे डुमो अटकी जाय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
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कंठमां ज्यारे डुमो अटकी जाय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
कंठमां ज्यारे डुमो अटकी जाय छे
मौन त्यारे कागळॉमां दोराय छे
एक माणसने जिंदगी भर चाही जवुं
तो ज समजण भलभलानी परखाय छे
आंख सामे द्रश्यनो मेळो होय छे
कोइ माणस बंध आंखे देखाय छे
एक पागलपन जरूरी छे प्यारमां
तो ज चाहतनी कदरदानी थाय छे
मौनना ताळा लगावी बेठा मुखे
प्रेमनी वाचाळताथी खोलाय छे.
पारदर्शकता जरूरी छे प्रेममां
काच जेवुं दिल बधाने वंचाय छे
हुं टकोराबंध राखुं छुं लागणी
तो मुलायमता बधाने समजाय छे
घूमरीनी जेम वलवल थाती रहे
कामना मारी नदी थइ बलखाय छे
सात दरियापार जोवा जेवुं धणुं
शक्यतानां पूल तेथी बंधाय छे
छे “महोतरमानी”वातो न्यारी ओ दोस्त
शायरी मारी छता ए चर्चाय छे
-नरेश के.डॉडीया
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