सामे रहे छे ते छता तारो अभाव छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
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सामे रहे छे ते छता तारो अभाव छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
सामे रहे छे ते छता तारो अभाव छे
दूरतामां तारो ज आ नमणॉ प्रभाव छे
शब्दोथी आगळ शोधतां मळशे घणुं नवुं
मळतुं रहे छे जे ए तारो प्रेम भाव छे
कायम तुं मनमानी करे ने हुं सहन करूं
व्हाली,समजदारी ए प्रेमीनो स्वभाव छे
झुल्फोनी शीतळ छावथी आगळ धणुं हशे?
मांग्या विनां जे आप,मारो शीरपाव छे
अटकी जती पळमां सतत वधतो रहे छे जे
ए मौन गुंजारवनो खळभळतो तणाव छे
खळभळती मारी वेदनांनी गुंज सांभळॉ
मारी गझल शब्दोथी रूझायेल धाव छे
ताणी शके छे लागणीनो तार मन भरी
ने ताणवाथी नां तूटे एवो लगाव छे
बोलो “महोतरमां” हु काव्यो केटला लखुं?
मारी गझलमा डोलती रहेती तुं नाव छे
-नरेश के.डॉडीया
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