प्रेमनी साव सादी अने सहज वात Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia

प्रेमनी साव सादी अने सहज वात Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
प्रेमनी साव सादी अने सहज वात Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
प्रेमनी साव सादी अने सहज वात 
पण अनुभववी अने अमलमां मूकवी एटली ज कपरी… 
प्रेमने कारणो साथे संबंध कोइ प्रकारनो नथी…

पण प्रेमनो सीधो अर्थ एटले ओगळवुं.
एवी रीते ओगळवुं के एकबीजामां भळी जवाय.
एवी रीते भळी जवुं के छूटा ज न पडी शकाय…

बस आवुं ज कंइक सतत तारा साथ अने सहवाशमां 
हु सतत अनूभव्या करूं छु.
आ बधुं आपणे बंने लखीए छीए त्यारे 
हु अने तुं वास्तविक जीवनमां शुं छीए.
ए पराणे भूली जवानी कोशिश करीए छीए

हुं जाणुं छु,तारी अमुक लक्ष्मणरेखा छे.
अने ए लक्ष्मणरेखानी अंदर प्रवेशवानी छुट नथी.
अने उपरथी तुं एवुं पण इच्छे छे के 
ए लक्ष्मणरेखानी बहार मारी हाजरी पण होवी जरूरी छे.
अने हुं कार्यने हसतां मुखे करतो रहुं छु.

कारण के घरनी बारी बहार रोज एकने एक द्रश्य 
जोवानी आंखनी टेव पडी होय छे अने 
तारी आ टेव भूली ना जाय माटे
मारे हाजर रहेवुं जरूरी छे

कारणके ए लक्ष्मण रेखा मारा पगने रोकी शके छे.
पण हजु सुधी एवी लक्ष्मण रेखा बनी नथी.
जे मारा शब्दोने,
मारी लागणीने
मारा प्रेमने तारा सुधी आवता रोकी शके...

अने हा आपणे मळीए छीए एवा पाडॉसीनी जेम,
जेना बंनेना घर वच्चे एक नानी वंडी चणेली होय
पण,बंनेना मुख दर्शन करी शके छे
अने प्रत्यक्ष वातो पण करी शके छे..
जे रीते आपणे बंने करीए छीए..
बस आपणे ज्यारे समय मळे छे त्यारे 
मळीए छीए अने मळीने छुटा पडीए छीए 
अने पोतपोताना घरमा चाल्या जइए छीए 
-नरेश के.डॉडीया
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