झंखनाओनो गुंजारव Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
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झंखनाओनो गुंजारव Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
झंखनाओनो गुंजारव
मानां गर्भमां बाळकनुं सळवळवुं
विजातिय व्यकित माटे आकर्षणनी परम अनूभूति
ह्रदयमां शब्दोनुं आंदोलन
स्खलननी तिव्रता
कुदरती सानिध्यनी आत्मिय अनूभूति
आत्मिय व्यकितनुं हुंफाळुं आलिंगन
आ बधी अनूभूतिओनी कोइ स्वर,भाषा,के लिपि नथी
पण शब्दो के ध्वनी विनानी अनूभवाती काव्यमय संवेदना छे
फकत आत्मिय अनूभूति ज हदय अने मन वच्चे सुमेळता साधे छे
- नरेश के. डॉडीया
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Gujarati Kavita
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