आ मान्यता मारी छे कारण के तमे मने गमो छो Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
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आ मान्यता मारी छे कारण के तमे मने गमो छो Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
तमे खरेखर सुंदर लागो छो
प्रत्येक अदामां नजाकत छे
तमारी आंखोनो अंदाज जुदो छे
तमारी चालमां झुलती डाळीनो लय छे
तमारा करकमल कमाल लागे छे
…तमारा गालोनां खंजननुं रहस्य अकबंध छे
तमारा होठनी लाली पासे गुलाब शरमाय छे
अरे!आ बधा विशेषणो अंसख्य कविओए पोतानी
प्रेयसी माटे लख्यां छे.
कवि नामनो जीवडॉ स्त्रीनी नबळायने जाणे छे
हा!तमे अन्य सौंदर्यकाराथी कंइक अलग सौंदर्य धरावो छो
पण आ मान्यता मारी छे कारण के तमे मने गमो छो
पण तमे मने शा माटे गमो छो,एनुं कारण जणावुं छुं
कारणके तमारुं शारिरीक सौंदर्य मारी कविता पुरतुं सिमित छे
पण मारी चाहत तमारा वैचारिक सौंदर्य साथे जोडायेली छे
हुं तमारी साथे शरीरथी जॉडायेलो नथी
कारण के हुं तमारा आत्माने पामी शकुं एटलो सक्षम नथी
मारुं ने तमारू मिलन संवादो थकी शकय बने छे
कारणके अन्य स्त्रीओथी तमारुं वैचारिक सौंदर्य अलग पाडे छे
हा!क्यारेक उत्तेजीक अवस्थामां मारा संवादोनुं स्खलन थाय छे
कदाच तमारा मज्जातंत्रमां ए उतेजना आप अनुभवो छो
कदाच हुं तमने तनथी चाहतो नथी अथवा ए मोको मळतो नथी
एवुं पण नथी मोको मळे तो तनथी पण चाही शकुं छुं
आखरे पुरुष छुं मारी नबळाय जाहेरमां हुं स्वीकारी शकुं छुं
कदाच आ व्यवस्था के अवस्था जे कहीए आपणे
एने “मनथी चाहवु”-एवुं कहेतां हशे..
कदाच प्रेमनुं पहेलुं पगथयुं मनने जीतवानुं छे
तन अने धनथी बधा अमिर होता नथी
खास करीने कविओ अने कलाकारो-
अतृप्त रहेवाना अवसरोने सामेथी
वधावनारा लोकोनो समुह छे
(नरेश के.डॉडीया)
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