आंखमां विस्मय हवे देखातु नथी Muktak By Naresh K. Dodia
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आंखमां विस्मय हवे देखातु नथी Muktak By Naresh K. Dodia |
आंखमां विस्मय हवे देखातु नथी
मानवीनुं मन हवे वंचातु नथी
रोज हुं गुलतान थइ जातो तानमां
ए रीते मन कोइमां खोवातुं नथी
- नरेश के. डॉडीया
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Muktak
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