तकदीरमां मारी नथी ए मानवीनो हाथ थामी ना शकुं Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
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तकदीरमां मारी नथी ए मानवीनो हाथ थामी ना शकुं Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
तकदीरमां मारी नथी ए मानवीनो हाथ थामी ना शकुं
हुं रंग एवो छुं हथेळीमां महेंदी जेम आवी ना शकुं
ठोकर सतत खाता रहीने मानवी समजे नही जे खेलने
पथ्थर-समी एनी मुरत पर कोइ’दी हुं स्मित लावी ना शकुं
एनो सितम केवा प्रकारे होय छे के स्मित लावुं के रडुं?
नखरा करे के ए करे देखाव,एनो ताग काढी ना शकुं
लज्जत मळे मारा ह्रदयने जो,गझलने दाद दिलथी होय तो?
दिलथी मळी ए दादनो आभार शब्दोथी हुं मानी ना शकुं
तकदीरनी बाजी सरी गइ हाथमाथी,बस पलक जपकी जरा
मारी हथेळी थामनाराने जीवनभर साथ राखी ना शकुं
लागे नही आ जिंदगी मारी नदी जेवी वहेती थइ हशे?
दरिया समी छे जात,पण हुं स्थान मारूं क्याय स्थापी ना शकुं
आस्वाद मयनो जिंदगीभर ताजगी काजे अमे लेता रह्यां
तेथी ज आवा लागणीना झांझवा आं कंठ हु पी ना शकुं
होती नथी तकदीरनी कृपा बधा शायरना जीवनमा भला
मारी’महोतरमा”करे ए प्रेम सामेथी हु आपी ना शकुं
-नरेश के.डॉडीया
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