आजे कहुं छुं फरी कहुं के ना कहुं ....Gujrati Kavita By Naresh K. Dodia
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| आजे कहुं छुं फरी कहुं के ना कहुं ....Gujrati Kavita By Naresh K. Dodia |
आजे कहुं छुं फरी कहुं के ना कहुं ....
आज सुधी मारी जिंदगीमां कदी कोईए
मारी माटे आटलुं नथी कर्युं जेटलुं ते कर्युं छे ,
हुं आ वात मारी जिंदगीना छेल्ला श्वास सुधी नहि भूली शकुं
हुं आने अहेसान कही तारा प्रेमनुं अपमान नहि करुं पण
हुं दिवसे दिवसे तारा प्रेमना भार नीचे दबाती जाउं छुं
हुं एक स्वमानी अने बहु जीद्दी दिलनी मालिकण छुं
परंतु स्वभावे हुं एटली ज कोमळ छुं
प्रेमथी हुं जीताई जाउं एटली सरळ अने कोमळ छुं
अने ते मने जीती लीधी छे
एक वखत हतो के मने अभिमान हतुं के
हुं कोईनी वातमां ना आवुं के
कोईने मारा हृदयमां जग्या नां आपुं ,
पण तारी घीरज तारो प्रेम मने हरावी गयो छे
अने आ हार थी हुं खुश छुं
व्हाली महोतरमां-
तमारा आ शब्दोना प्रभावशाळी असर तळे हु
अभिमानी बनी गयो छु..
कारणके मे मारी हेसियतथी अने मारा नामथी
घणी उची कक्षानी व्यकितने पामी छे..सर्वांग रीते
हु एने तमारी हार नथी,कही शकतो
कारणके
हु जेने चाहु छु,ए व्यकित मने जीतती जोवानी गमे छे
तु तो देवी छे,तु तो राजराणी जेवी छटा धरावे छे
तु तो एक राजकुमारी जेवु दमदार ऐश्वर्य धरावे छे
अने हु तो एक सामान्य शायर कहो के कवि छे...
अने एक सामान्य माणसने "हारमा खूश छु." एवु कही
मने बादशाह जेवी गुमानी बक्षी छे
अने तमे नही मानो....ज्यारथी "महोतरमा"ना नामे
मे गझल कविता लखवानी शरू करी छे त्यारथी
लोको मने बादशाह जेवी वाहवही आपी छे
मुशायरो होय के फेसबुकनी पोस्ट होय
ज्या"महोतरमा"नाम आवे लोकोना चहेरा मे जोयु के
खूशीनी लहेर दोडी जाय
गझब छे "महोतरमा" नामनी बोलबाला
अने साचे कोइ "महोतरमा"वाळी गझल लखे छे
एवु कहे त्यारे हु मनोमन मारा ह्रदयना कोलर उंचा करू छु
नशीबे कोइने दोलत मळे छे आ इश्कनी
खुदाने ज्यां गमे छे एवा घरे जइने बेठो छे
जे जे कल्पना करीने शेर लख्या छे ए बधा शेरने
तमे जाणे हक्कीत बनाववाना हो एवा मुडमा मळॉ छे
अने एक वार पुछ्यु के"मने केटली याद करे छे."
आंख जागे अने आंख बंध थाय त्या सुधी
जाणे फिल्मना रीलनी एक पछी एक द्रश्यमा
आप छबी रूपे आंख सामे सरकता रहो छो
सुफी तो लोग कहेते है,हक्कीत मे तेरा अक्स हुं मे
किसी सुफी मझार क़ी तरह तेरी खूश्बू से महेकता हु मे
-नरेश के.डॉडीया
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