तारा विनां मारी विजोगण सांज ठेबे चडी छे Gujrati Muktak By Naresh K.Dodia
![]() |
| तारा विनां मारी विजोगण सांज ठेबे चडी छे Gujrati Muktak By Naresh K.Dodia |
तारा विनां मारी विजोगण सांज ठेबे चडी छे
अंतरनां अश्रुओनी धारा आज नेवे चडी छे
तुं चोतरफ फेलाइ गइ छे श्वासमां कण बनीने
तारा विना ना जीरवाती पळ जीदे चडी छे
-नरेश के.डॉडीया
Labels:
Muktak

No comments:
Post a Comment