जे हतुं सघळुं अही मूकी जवानुं होय छे Muktak By Naresh K. Dodia
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जे हतुं सघळुं अही मूकी जवानुं होय छे Muktak By Naresh K. Dodia |
जे हतुं सघळुं अही मूकी जवानुं होय छे
कोण जाणे ए बधानुं शुं थवानुं होय छे?
रोजनी तकरारथी थाकी जवाई छे कदी
आ ज रीते एक जणने चाहवानुं होय छे
- नरेश के. डॉडीया
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Muktak
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