धरतीने तपती जोइने वरसाद वरसी गयो Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
![]() |
धरतीने तपती जोइने वरसाद वरसी गयो Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
धरतीने तपती जोइने वरसाद वरसी गयो
ए दैवत्व भूली एकली धरतीने वळगी गयो
ज्यां साव कोराकाट वरसो हुं वितावी चुक्यो
ए डाळनी लीलाश खातर खुद हुं जळथी गयो
न्होतो मळ्यो कोइ मने एवो मददगार ज्यां
मारा ज पडछायानी छायामां हुं भटकी गयो
ए बोर शबरीए भले चाख्या हशे मानुं छुं
मीठाश एनी राम नामे होय समजी गयो
सरकारनी हर योजनानो लाभ लेवा जुओ
ए फायदानी वातमां खुद धर्म बदली गयो
मारी फिकर क्या कारणे करती ए समजण पडी
दोस्तीनो नातो प्रेममां जे क्षणमां पलटी गयो
आराधना छे के हुं करुं छु बंदगी बोलजो?
में शब्दमां इश्वर लख्युं तो रबमा बदली गयो
एने कह्युं क्यारेय मळवानी नथी आपने
एना नगरमां एमने मळवा हुं वटथी गयो
मीठाश ज्या मारी महोतरमानी भळती गई
शब्दोनो दरियो काव्य गझलो थइने छलकी गयो
– नरेश के.डॉडीया
Labels:
Gujarati Gazals
No comments:
Post a Comment