झांझवा जेने समजता होयने जळ नीकळे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
![]() |
झांझवा जेने समजता होयने जळ नीकळे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
झांझवा जेने समजता होयने जळ नीकळे
याद एनी आवता आंखुं जीवन पळ नीकळे
जिंदगी आखी इशाराथी करी छे मावजत
ए ज जण सनमुख मळेने आंसु खळखळ नीकळे
सादगीनो कायमी आभार मान्यो जेमनो
जोइने एनी छबी सौंदर्यनुं बळ नीकळे
भार आखी जिंदगी मारा खभे उचकुं छुं हुं
पांख आवी शब्दने तो आभनुं तळ नीकळे
जिंदगी तारा विना सुनकार लागे छे मने
ने हकीकतमा ए शब्दो साव पोकळ नीकळे
ए विचारोमां सतत हलचल मचावी जाय छे
एमनां सपनांय अंधारामां झळहळ नीकळे
कायमी आधार छुं तारो फिकर करतो नही
दोस्तनी वाणी जरूरत होय तो छळ नीकळे
रेशमी धागानो जे संबंध हुं गणतो रह्यो
जिंदगीभर बेउने जोडे ए साकळ नीकळे
साव नक्कर काळजानी मालिकण छुं ओ”नरेन”
ए “महोतरमानी” अंदर मखमली सळ नीकळे
-नरेश के.डॉडीया
Labels:
Gujarati Gazals
No comments:
Post a Comment