सुनां है के उसने नयां इम्पोर्टेड ओवरकोट की आदत डाल दी है Hindi Kavita By Naresh K. Dodia
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सुनां है के उसने नयां इम्पोर्टेड ओवरकोट की आदत डाल दी है Hindi Kavita By Naresh K. Dodia |
में अब भी मन करे तो
उस की यादो की चद्दर ओढ लेतां हुं
बहुंत बरसो से वोह एक ही चद्दर से काम चलाता हुं
कयुं की दुसरो की यादो की चद्दर
चाहे कितनी भी साफ सुथरी,धुली हुवी,और नइ हो
वो ओढने कां मजा ही नही आता
राज की बात कहुं तो
उस की यादो के चद्दर की सिलवटो में अबी भी
अपनापन महेसुस होता है,
कितनी नज्मो के सिलवटॉ में हमने छुपाकर रखी थी
दोनो की उंगलीओ के ताजा निशान अब भी मौजुद है
शरारत कां हर लम्हां आज भी महेफुज हो कर
वो चद्दर के तुटे हुवे धागो के साथ लिपटे है
हां लेकिन अब वो चद्दर में हम दोनो की सांसो की
जो महेकती खूश्बुं थी वो गायब हो गइ है
कयुं की वो चद्दर में अकेला ही ओढतां हुं
सुनां है के उसने नयां इम्पोर्टेड ओवरकोट की
आदत डाल दी है
-नरेश के.डॉडीया
Labels:
Hindi Kavita
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