एक ही बात बार बार दिल मे कयुं आती है Hindi Kavita By Naresh K. Dodia
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| एक ही बात बार बार दिल मे कयुं आती है Hindi Kavita By Naresh K. Dodia |
एक ही बात बार बार दिल मे कयुं आती है
सिर्क तेरी ही याद बार बार कयुं सताती है
पता नहि कयुं एक ही आहट सी रहेती है
ऐसा लगता है के तुं दुर से मुझे बुलाती है
एक भी मैयखाने में मुझे शुकुन नहि मिला
तुजे चाहने की खुमारी मेरी प्यास बुजाती है
चेन की निंद मिलती नही मुझे बिस्तर मे
खवाब में मिलने की उम्मीद मुझे सुलाती है
तकदीर से मैने पुछा था बता तुं कोन है?
उन की उंगली मुजे तेरी तस्वीर बताती है
तेरा वजुद अब मुझ मे अब देख शकती है
दिल की रोशनी मे आशा दिवाली मनाती है
गजल मेरी मीरां है,तुंजे मैने राधा समजा
ये दो नाम से मेरी कलम बांसुरी बजाती है
महोतरमां,कयुं सहेमी सहेमी सी रहेती है?
सुना है,तनहाइ सरेआम आप को सताती है?
- नरेश के.डॉडीया
Labels:
Hindi Kavita

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