वफादारी,भरोसा हद से जब बढता रहेता है Hindi Gazal By Naresh K. Dodia
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| वफादारी,भरोसा हद से जब बढता रहेता है Hindi Gazal By Naresh K. Dodia |
वफादारी,भरोसा हद से जब बढता रहेता है
यकीनन रुह का कबजां कोइ करतां रहेतां है
मुलाकाते भले ही कम हमारी हो मगर यारो
जो अपना है,हमेशा साथ में चलतां रहेतां है
ये ख्वाहीसो का मंझंंर कारवा बन के गुझरता है
तमामे रात अपना हमसफर बनता रहेता है
मुझे कमजोर उस के आंसुने ऐसे बनाया है
भरोसा प्यार का समजोते से सर चडतां रहेता है
कभी भी उस के च्हेरे पे ना देखी सिलवटे गम की
लबो पे उस के मेरा नाम जब सजता रहेता है
वो चाहत की रवानी से गजल मेरी निखर गइ थी
उसी की चाह मे अलफाज धुन सा बजतां रहेता है
सुनामी की तरह आती हे मेरे ख्वाब मे अकसर
कहर उस शब का सुबहा तक मुझे लिपटा रहेता है
तुझे मिलने से प्हेले शायरी उसने नही लिक्खी
वो तेरे नाम से शायर बने लिखतां रहेता है
“महोतरमां” जरा संभल के चलना है ये दुनियामे
यहा हर शख्स अपनी चाह से जलता रहेता है
-नरेश के.डॉडीया
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