Ankh Ma Ashru Avavanu Koi Karan Hoi Che Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia

Ankh Ma Ashru Avavanu Koi Karan Hoi Che Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
Ankh Ma Ashru Avavanu Koi Karan Hoi Che Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
आंखमां अश्रुं अचानक आववानुं कोइ कारण होय छे
यादना नामे ह्रदयमां एक जणनां प्रेमनी क्षण होय छे

जिंदगी पण यादवास्थळी समी फंगोळती सौने अहीं
आंखथी आधे वसीने दिलमां रहेतुं गमतुं ए जण होय छे

लाख कोशिश हुं करुं खुदने मनावानी छता खुदथी रुंठु
तुं ज जाणे छे के तुं ज्यां होय त्यां खूशीओ मणमण होय छे

धारणाथी कोइ आगळ क्यां गयुं छे आ जगतमां मानवी
शब्द देहे रोज मळवानां अभरखानां अही धण होय छे

संत जेवुं रोज वर्तन प्रेममां क्यांथी करुं यारा तुं कहे?
रूंप तारुं जोइ कायम आंखने दिलमाय चणभण होय छे

चाहनारानां विचारो होय दुनियाथी जुदा जाणे सौ कोइ
रोफ दुनियाने सतत देखाडनारा दिलथी दर्पण होय छे

क्यांय बोलातुं नथी जे नाम मारा काव्य बोले छे सतत
एक राधा एक मीरा ए पछी तारू ज सगपण होय छे

मात्र थोडी लागणी,थोडी मळेली स्पर्शनी मिलकत थकी
एक माणसनां ह्रदयमां कायमी एकांतनुं कण होय छे.

ए ‘महोतरमां’ ज जाणे छे ञझल लखवानां साचा भेदने
कायमी एना तरफथी लागणीनुं एक पोषण होय छे.
~नरेश के. डोडीया

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