वसमा दिवसने रोज वसमी रात मारी जाय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
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वसमा दिवसने रोज वसमी रात मारी जाय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
वसमा दिवसने रोज वसमी रात मारी जाय छे
एनी वलोपाती असर मारी गझलमां थाय छे
तकरारनो तुं कहे ए रीते अंत आवी ना शके
आ खालिपो प्हेलां परखती एम क्यां परखाय छे?
छोडी नथी शकतो जीवनमां एक गमता जणने हुं
आ दिलने समजावो छतां क्यां ए बधुं समजाय छे
ए प्राण प्यारी तोरमां एनां जीवे छे मस्त थइ
मक्ताथी लइ मक्ता सुधी नखरा एनां चर्चाय छे
लपडाक मारीने गझलनो रंग रातो क्यां बने?
उर्मिनी पावक आगथी शब्दो बधां रंगाय छे
दर्पणमां जोइने मलकवुं आकरूं लागे हवे
तारी कमीथी खुदनो च्हेरो कायमी अकळाय छे
मारी ज आदत रोज नडती गइ अछोवाना करी
तुं रोज मनमानी करे ने जीवडॉ गभराय छे
मारी “महोतरमांने “स्वीकारी ह्रदय पूर्वक पछी
मारा ह्रदयनी वात शब्दो थइ सौने वचाय छे
-नरेश के.डॉडीया
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