एक इच्छानु सौने वळगण होय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
![]() |
| एक इच्छानु सौने वळगण होय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
एक इच्छानु सौने वळगण होय छे
सौना दिलमां एक गमतुं जण होय छे
ए ज रीते माछली वींधाइ गइ’ती
चार आंखो जेम मळवानी क्षण होय छे
एक लाचारी मने कायम खटके छे
जीव सालो प्रेममां मांगण होय छे
कां बळतरां होय अथवां ठंडक मळे
आंखमां कां रण,का तो श्रावण होय छे
हुं जुदाइमां विरहनां काव्यो लखुं
जागरणमां शब्दनुं तर्पण होय छे
गोधुली वेळा समुं आंखोमां वळे
सांज पडतां यादनु तारूं धण होय छे
ओ “महोतरमां” घटाडॉ दूरीनो कर
हस्त रेखामां धणा तारण होय छे.
-नरेश के.डॉडीया
Labels:
Gujarati Gazals

No comments:
Post a Comment