एक माणसनी कमीथी शुं ने शुं थइ जाय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia

एक माणसनी कमीथी शुं ने शुं थइ जाय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
एक माणसनी कमीथी शुं ने शुं थइ जाय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
एक माणसनी कमीथी शुं ने शुं थइ जाय छे
आ ह्रदयनुं दर्द एने क्यां कदी समजाय छे

एक समजण आंखमां आवे ए समजण दिलने होय
एटले पेदाश अश्रुओनी ह्रदयमां थाय छे

प्यारने बदले जीवन जाणीने चाल्यो शायर
ए पळेपळनी असर थइ श्वासमां वर्ताय छे

शोधवाथी कोइ मळतुं होय तो शुं जोइए
ए ज माणस शोधवामां आयखुं धरबाय छे

प्रेम तो छे प्रेम एने भूल ना कहेशो कदी
जेटली वखते करो भगवान पण हरखाय छे

कोइने तरछोडवाथी शुं मळे छे ओ,ह्रदय?
यादमां एनी जीवन चातक समुं तरसाय छे

कोइ तारण शोधवा जाशो नही शुं छे आ दर्द
दर्द प्हेलुं भूलवां बीजे नजर मंडाय छे

प्रेम लखलुट जेमने मळतो रहे एने खबर
एटले तो काव्य गझलो कायमी सर्जाय छे

रोज ए दिल थपथपावे आंखथी आधे रही
ए महोतरमानी चाहतनुं वलण वपराय छे
-नरेश के.डॉडीया

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