एक दिवस तारा ह्रदयनी धरानुं सत्य उलेचीने Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
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एक दिवस तारा ह्रदयनी धरानुं सत्य उलेचीने Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
एक दिवस तारा ह्रदयनी धरानुं सत्य उलेचीने
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बीज रूपे रोपायो हतो
मावजत तारी ज काम आवी छे
बीज रूपे मने पोषवा माटे
तेथी ज आजे वटवृक्ष जेवो घटाधार फेलाय गयो छुं
सवेंदना डाळीओ पर लागणीओनां लथबथ फूल लची पडया छे
ज्यारे ज्यारे संतापनो ताप वेठीने
छायडानी शोधमां मारी नीचे आवीने बेसे छे…
थडनो टेको लइने शांतिथी थोडीवार सुधी बेसी रहे छे
उची नजरो करीने मारी धटाओने निरख्या करे छे
अचानक उभी थइने लागणीओना फूलोने तोडवा
तारो हाथ जरा उंचो करे छे……
त्यां तो हुं डाळी सहित तारा पर नमी पडु छु….
-नरेश के.डॉडीया
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Gujarati Kavita
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