संयमनुं ज्यारे पारखुं थाय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia

संयमनुं ज्यारे पारखुं थाय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
संयमनुं ज्यारे पारखुं थाय छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
संयमनुं ज्यारे पारखुं थाय छे
त्यां शब्दनुं हथियार वपराय छे

पाणी समो खळखळ भळुं पण खरो
नरमाश माटीनी जो परखाय छे

उपवास जेवो प्यार करवो गमे
त्हेवार आवे तो ए उजवाय छे

दोडे छे उर्मिओ हरण थइ सतत
अंते ए रणमा जइने रोकाय छे

आघात आपे व्हालनां नामथी
पाछा उपरथी स्मित दइ जाय छे

नफरतमां बदली ना शक्यो प्रेमने
आवु विचारी जात शरमाय छे

कळयुग हो के सतयुग,फरक क्यां पडे?
शब्दो एक ज बस अर्थ बदलाय छे

तोफान जेवुं दिलमां ज्यारे थयुं
वातावरणमां भेज वर्ताय छे

कागळमां दोराती नथी तुं कदी
आं आंखमां तुं सौने वचाय छे

एवी “महोतरमा” करे छे कमाल
शब्दो छे मारा ने ए चर्चाय छे
-नरेश के.डॉडीया
Advertisement

No comments:

Post a Comment