शक्य छे ए द्रश्यना दावे नयनमा आवशे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
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शक्य छे ए द्रश्यना दावे नयनमा आवशे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
शक्य छे ए द्रश्यना दावे नयनमा आवशे
शक्य छे ए प्रेमना दावे भवनमा आवशे
शक्य छे ए शब्दना दावे कवनमा आवशे
शक्य छे तोफानना नामे प्रणयमा आवशे
आंख लागी होय ज्यारे विश्वमां रातो ढळे
शक्य छे ए ख्वाबना नामे नजरमा आवशे
तार जोडे छे ह्रदयना ए सितारी भावथी
भाव भकितना भरीने ए तरजमा आवशे
लागणीना मुल्यनी एनी समज न्यारी हशे?
एटले ए मागणी नामे चलणमां आवशे
स्मितनी एनी छटाना मोल क्याथी हु करूं?
ए ज इच्छा थाय आ जण हमसफरमां आवशे
जिंदगीमां एक जण आवुं कदी मळतुं नथी
शक्य छे ए शब्दसाथी थइ गझलमां आवशे
छे ”महोतरमानी" मस्ती बारमासी प्यारनी
शक्य छे एनी मजां आठे प्रहरमां आवशे
-नरेश के.डॉडीया
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