कागळ मही कीस्सो बनी आकार पाम्यो हतो Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia

कागळ मही कीस्सो बनी आकार पाम्यो हतो Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
कागळ मही कीस्सो बनी आकार पाम्यो हतो Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
कागळ मही कीस्सो बनी आकार पाम्यो हतो
वरसो पछी ए प्यार रूपे जगमां आव्यो हतो

जे साव अणधड लागतुं वर्तन करे प्रेममां
अडचण घणी वेठीने अंते ए ज फाव्यो हतो

ज्यां नोतरानी राह जोवाइ नां संबंधमां
दोस्तीनी दावतना गमी तो प्यार मांग्यो हतो

पकडी नथी शकतो हुं जेनो हाथ जाहेरमां
शब्दोनी आडसमां मुसलसल साथ चाल्यो हतो

ए व्हाल एवुं वेरता मारी गगझल सांभळी
प्हेली वखत मे प्रेम साथे मयने चाख्यो हतो

थाक्या नही शब्दो कदी चाहतनां रणमां फरी
ज्यां साज ढळती शब्दने पालवथी ढांक्यो हतो

जेना विनां संध्या गुजारी अनगिनत आज लग
एवा विरहने शब्दथी आघे में काढ्यो हतो

मारी “महोतरमाने” मळवुं ए ज तकदीर छे
तकदीरने पण छेतरीने प्यार आप्यो हतो
-नरेश के.डॉडीया
Advertisement

No comments:

Post a Comment