हु तो एक नाना परवाळा जेवु अस्तित्व धरावतो हतो Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
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हु तो एक नाना परवाळा जेवु अस्तित्व धरावतो हतो Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
हु तो एक नाना परवाळा जेवु अस्तित्व धरावतो हतो
अने तमारा अफाट प्रेमनी दरिया जेवी उछळती मौजनी
रोज पछडाटो सहीने
एक दिवस चूर चूर थइने तमारा दरिया जेवा
प्रेमना मौजाओ हु कण कण थइने विलिन थइ गयो
ते दीवसथी संपुर्ण तमारामा ओगळी गयो छु
मारा कद,आकार,अहम,मगरूरी,तोर,अभिमान
अने मारा नाम सहीत सघळु तमारामां भळी गयु छे
एकत्वनी आथी आगळ कोइ चरससिमा होती नथी
एटले तो लोको मने गझलकार के कविनी साथे
“महोतरमा’ नाम वाळी गझल लखे छे”
ए गझलकार छे..एवु कहीने मारी आगवी ओळख
मारी उभी करी छे..
आ तो तमारो प्रताप छे,तमारी दुवाथी छलोछल प्रेम छे
एटले अक्षरोने ह्रदयमाथी तमारी आरधना करवा माटे
ह्रदयना पवित्रकुंडमा पावन स्नान करीने
कविता के गझल स्वरूपमा बीराजमान थवा
रोज लागणीओनी खेस अने उर्मिओनु अबोटीयु पहेरीने
कागळ पर बिराजमान थवु पडे छे”महोतरमा”
आ सपुर्ण विधि मारा प्रेमनी साथे
तमारी आराधना कहेवामा आवे छे
समजाय गयु ने हवे प्रेमनु अस्तित्व
केटला अलग अलग स्वरूपे बिराजे छे?
आंनद अने मौजना अनेक स्वरूपमानु एक्
महत्वनु स्वरूप छे-
निरहेतुक प्रेमज्या मात्र आपवानी खूशीने उत्सव गणवामा आवे छे
अने अनेक प्रकारे योजाता सहवाशनी प्रक्रियाने
प्रेमनो परमानंद गणवामा आवे छे
अही मन,शरीर.लागणी,काम,उर्मिथी पर होय
एवी एक प्रबळ इच्छाओनु समापन थाय छे
ए छे रोज आपणु कोइ पण बहाने मळता रहेवु
ने एक बीजामां सिमाडाओनी हद छोडीने भळता रहेवु
-नरेश के.डॉडीया
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