सन्नाटा घरमां आम कदी संभळाय ना, Gujrati Famous Gazal By Abbas Vasi "Mariz"

सन्नाटा घरमां आम कदी संभळाय ना, Gujrati Famous Gazal By Abbas Vasi "Mariz"
सन्नाटा घरमां आम कदी संभळाय ना, Gujrati Famous Gazal By Abbas Vasi "Mariz"
सन्नाटा घरमां आम कदी संभळाय ना,
पगलाना आ ध्वनि छे तमारी विदायना.

ना, एवुं दर्द होय महोबत सिवाय ना,
सोचो तो लाख सूझे – करो तो उपाय ना.

जीवननो कोइ ताल हजु बेसतो नथी,
हमणांथी कोइ गीत महोबतमा गाय ना.

आगामी कोइ पेढीने देता हशे जीवन,
बाकी अमारा श्वास नकामा तो जाय ना.

सारा के नरसा कोइने देजे न ओ खुदा,
एवा अनुभवो के जे भूली शकाय ना.

ए ऊर्मिओ तमे बधी आवो न सामटी,
आ छे गझल, कंइ एमां झडपथी लखाय ना.

आराममां छुं कोइ नवा दु:ख नथी मने,
हा दर्द छे थोडा वीतेली सहाय ना.

ज्यां पण ह्रदयना ऊभरा, ऊभरे करो कबुल,
तोफान थाय क्यां जो ए दरियामां थाय ना.

हा छे विविध क्षेत्रमां एवा छे प्रेमीओ,
एवी वफा करे छे के मानी शकाय ना.

सगवड छे एटली के गमे त्यां हसी शको,
अगवड छे एटली के गमे त्यां रडाय ना.

जोवा मने हुं लोकनी आंखोने जोउं छुं,
लोकोनी आंखमां ज हता स्पष्ट आयना.

मृत्युनी पहेला थोडी जरा बेवफाइ कर,
जेथी ‘मरीझ’ एमने पस्तावो थाय ना.
- मरीझ

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