छेह दीधो आखरी पळमा छतां हुं जीवी गयो Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
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छेह दीधो आखरी पळमा छतां हुं जीवी गयो Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
छेह दीधो आखरी पळमा छतां हुं जीवी गयो
मांनुं छुं आभार ए पळनो जेने हुं जीती गयो
बस तुं गइ ए भार स्हेवातो नथी माराथी हवे
आपणे नोखा पड्या ए पळनो पारो थीजी गयो
होय छे हथियार क्यां शायरने लडवा माटे कदी
ए हवामां शब्दोने तलवार मानी खूपी गयो
शोधु छुं अणसार तारो चो-तरफ ढळती सांजनां
काकलुदी करता शब्दो कहे समय ए वीती गयो
झंखनाओ बस बचाडी शब्दमा संकोचाइ गइ
जीजीवीषा शब्दमां ठांसीने शायर तूटी गयो
कामनानो राफळॉ फाट्यो बे माणस वच्चे कदी
ने नियम मूजब समय ए राफळाने बूरी गयो
तारीने मारी वचाळे आज पण जीवे छे कशुं
हुं विरहमां कोइनां कंइ रीते रहेवुं शीखी गयो
बस “महोतरमा” गझलमां काव्यमां तुं जीवंत छे
प्रेमथी थॉडी धणी मिलकत थकी हुं दीपी गयो
– नरेश के. डॉडीया
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