एक वळगाडनी जेम मने वळगी गइ छे Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
![]() |
एक वळगाडनी जेम मने वळगी गइ छे Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
एक वळगाडनी जेम मने वळगी गइ छे
तारा नाम साथे जोडायेली एकलतां
मारा मन अने ह्रदय साथे विचारोमा
कोइ कारण अने टाणाटक विना खळभळवुं
तारा निसिःम अने निस्वार्थ प्रेमनी
अमिवर्षानुं नित्य मारा पर वरसवुं
अने लागणीनां तडका छाया वच्चे
मारा एकान्तंनां बागमां तुज नामनां
छोडनुं सतत वधतुं रहेवुं....
अने हवे तो बार मासी फूलो आववा लाग्या छे
जाणे मारी लागणीभीनां स्पर्श पामवानी
खूश्बूभरी दावत आपता होय एवुं लागे छे.
स्पर्श करूं के एने फकत सुंधुं के दूरथी जोया करूं
ए अवढवमां एक दिवस तो चोरीछुपीथी
मारो पालव फूलोथी भरी लीधो...
हवे ए रोजनी आदत पडी गइ छे..
रोज लागणीनां फूलो तोडती रहुं छु..
अने तुं रोज खिले छे
नवा फूलोथी लथबथ डाळीने लइने
मारा स्पर्शनी राह जोइने
-नरेश के.डॉडीया
Labels:
Gujarati Kavita
No comments:
Post a Comment