जेनी छबीना आशरे काव्यो गझल रचतो हतो Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
![]() |
जेनी छबीना आशरे काव्यो गझल रचतो हतो Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
जेनी छबीना आशरे काव्यो गझल रचतो हतो
चाहतनो धोडॉ शब्द रूपे रोज हणहणतो हतो
जेनी मुसलसल म्हेक मांरा शब्दमां झरती हती
कागळनी बदले शायरी फूलो उपर लखतो हतो
हर एक एना बोलने मानी हुकम हुं जीलतो
एने सतत गमवाने माटे कारसा धडतो हतो
चोरी छुपीथी रोजं मळवानी मजा केवी हती
हुशब्दनां ब्हाने जगत आखाने छेतरतो हतो
शोधु छु खोवायेल मारी खास पळने आज पण
यादोनां माळीयामां एनी शोधमां चडतो हतो
जेनामां एकलताने पण मोसाळ जेवुं सोरवे
एकांतमां पकवान जेवां शब्द ए जमतो हतो
पाणी पूरी जेवी ए खटमीठी अने तीखी हती
एनां विरहनो स्वाद पण तीखोने तमतमतो हतो
मानी नथी शकतो के ए मारी नथी बनवानी तोय
रस्मो रीवाजोथी पर मारी एने गणतो हतो
राधा समी ए रूपवंती नार नखरा शुं करे
एनां बधां अंदाजने काव्यो रूपे लखतो हतो
जे पळथी ए गइ छे महोतरमां जीवनमांथी ए दोस्त
चोरस खूणॉ गोतीने एकलताथी हुं लडतो हतो
-नरेश के.डॉडीया
Labels:
Gujarati Gazals
No comments:
Post a Comment