चाहनारा पासे कोइ विकल्प ज कया होय छे Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
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चाहनारा पासे कोइ विकल्प ज कया होय छे Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
छबी काव्य
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एक अलौकिक अने दुनियादारीथी साव
नोखी नारी मने मळी छे..अरे…मात्र मळी छे ज नही,
पण मने एक देवीनी जेम फळी छे…
शुं कहु एना माटे,जे खुद एक खूबसूरत नवलकथा जेवी
छेजे खुद दिलकश अने दिलनशी अलफाझोथी सजेली गझल छे
जे खुद दुनियानु एकमात्र मानविय प्रेमनुं जिंवंत काव्य छे…
ना श्वेत ना श्याम
तारी त्वचानो निखार दिवस अने रातनां माहोल प्रमाणे ढळे छे
दिवस होय तो धवलश्यामां लागे
अने रात होय राधिकागौरी जेवी धवल लागे..
नारीनां केटलां केटला स्वरूप सर्जनहारे
आ एक ज महोतरमां भरी दीधा
क्यारेकसाक्षात दुर्गा स्वरूप
तो क्यारेक ज्ञानदेवी शारदा जेवु सुकोमळ स्वरूप
तो क्यारेक लव गोडेस विनस जेवुं दिव्य स्वरूप.
चाहनारा पासे कोइ विकल्प ज कया होय छे
जे स्वरूपे ए सामे आवे बस आंखो बंध करीने
एने चाहतुं रहेवानु.
ए भले कहे के मारा आवाजमां कोइ खासियत नथी
पण साचु कहुं
एनां अवाजमां क्यारेक आरत रेटाती होय छे
जे संपुर्णपणे पुरुषने एनां तरफ खेंची राखे छे.
तो क्यारेक एटली मिठास छलकाती होय के
बस एनां सुरीला टहुकामां खोवाता रहीए.
क्यारेक अतिसय लागणीथी छलोछल आत्मिय अवाज
काने अथडाय त्यारे एम ज थाय के
नुं माथुं बे हाथमां पकडीने
एनां ललाट पर एक मीठु चुंबन चोडी
देवानुं मन थाय अने कहेवानुं मन थाय
त्यारे लागे के
दुनियामां जे तने पामी शकयो छे
एनांथी तकदीरवाळॉ माणस कोइ नथी
नतमस्त नमी जवाय एटली हदे एनामय बनावी दे छे
जाणे राधिकागौरीनो कळयुगी अवतार
खरेखर आ स्त्री पागल बनावी दे एवुं दैवत्व धरावे छे
केमेय करीने एनां विचारोमांथी बहार नीकळी शकातुं नथी
ना दोस्ती करी शकाइ के ना एनी साथे दुश्मनी
मात्र अने मात्र एने दिलफाडीने प्रेम ज करी शकाय
आटलुं व्हाल तो मे कदी खुद मारी जातने नथी कर्यु
एटलु व्हाल मात्र आ “महोतरमां” माटे उभराय छे.
दिवानगी….दिवानगी बस दिवानगी है…
सौंदर्य ए सौंदर्य ज छे.ए आत्मानुं होय के शरीरनुं होय
सौंदर्यनुं सर्जनहार बक्षेलुं नजराणु छे
कोइ मेकअपनां थथेडा नही
साव आछा मेकअपमां आपनुं जाजरमान स्वरूप देखाय आवे छे
अने ए ज साचुं सौंदर्य छे..अने
मने जे तारुं रूप गमे छे ए आ ज स्वरूप छे .
पेलु गीत याद आवे छे
चहेरा कंवल है
बात गझल है
खूश्बू जैसी तुं चंचल है
ज्यारे ज्यारे सांभळुं छु तारी
तस्वीर मारी सामे जिंवत बनी जाय छे
जाणे मारी आंखो सामे तुं बिराजमान हो..
इच्छा तो धणी थाय छे
के समयनी गांठ वाळीने रूमालमां बांधी दउ
अने रूबरू वातो करू
बस तने निरखतो रहुं अने तारी वातोमां खोवातो रहु
खुल्ला वाळ साथे हवा अठखेलिया खेलती होय
अने तारा बे होठ वच्चे शब्दो फूल जेम झरता होय
अने हुं तारा चहेराने अपलक नयने निरखतो रहुं
अने टहुकामय बनतो रहु
सौंदर्य अने खूश्बूनो अनेरो संगम तारामां छे
तारा शरीरनी एक विशिष्ट अने मादक कही शकाय एवी
खूश्बू नाकने अडती होय
तुं पण कबुलो छो के तारामांथी एक अनोखी खूश्बू नितरती होय छे
महोतरमां संपुर्ण तमारामय बनीने
केफमां हुं शुं लखुं छु मने खबर नथी.
बस ए खबर छे के आ व्हालथी नितरतां प्रेम
काव्यो पत्र रूपे आपनां माटे लखतो रहुं.
दुनियादारीथी साव अलिप्त थइने मगज अने
ह्रदयथी तारा विचारोने आधिन थइने…..
कोइ हवे मने पुछे के प्रेम एटले शु?
एटए हुं जवाब आपीश हुं जे रीते महोतरमाने
चाहुं छु ए प्रेम
अने महोतरमां जे रीते मने चाहे छे ए साचो प्रेम
तारी आंखो एटले निसिम प्रेम अने अनकही कही शकाय
एवो एकलतां अने धीर गंभीर विचारोनो दरियो
जे क्यारेक शांत होय तो क्यारेक उफाणे चडयो होय एवो लागे
जेटली निर्दोशता आंखोमां छे एटली ज कातिल छे
पण छे जोरदार आंखो
बंध आंखो होय तो एम लागे के
कोइ देवी खुद साधना करी रही होय..
अने खूल्ली होय तो जाणे मयखानु लागे
नही जाडा अने नही पतला
परफेकट शेपमां बनेला आपनां सुंदर होठ
अने एमां देखाती सफेद दंत पंकित अने
ज्यारे दिल खोलीने तुं हसता होय त्यारे एम लागे आजे
उपरवाळॉ चार पांच पेग चडावीने छाकटो थयो हशे
अने मौजमां कंइक गणगणतो हशे
ते मोकलावेली छबीमां जे रीते हसे छे
बस आ ज रीते सदा खूशखूशाल अने हसती रहे
एवी दिलथी शूभकामनां
कारण के तारी खूशी ए मारा प्रेमनी बाय प्रोडकट छे
साच्चे
मारी महोतरमा.
-नरेश के.डॉडीया
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