आ गझल मारे रोज लखवानी मथामण होय छे Gujarati Muktak By Naresh K. Dodia
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आ गझल मारे रोज लखवानी मथामण होय छे Gujarati Muktak By Naresh K. Dodia |
आ गझल मारे रोज लखवानी मथामण होय छे
एक जणने चाहवानुं शब्दो पर भारण होय छे
फुलना पगरव सांभळे एवा घणा माणस हशे?
आंखमा जेनी जळने दिलमां एक फागण होय छे
-नरेश के.डॉडीया
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Muktak
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