एक वखते इत्रनी माफक ते तारी जातने छांटी हती Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
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एक वखते इत्रनी माफक ते तारी जातने छांटी हती Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia |
एक वखते इत्रनी माफक ते तारी जातने छांटी हती
जिंदगीमां प्रेमनी खूश्बू मे प्हेली वार पीछाणी हती
राम जाणे क्या समयनुं ए ग्रहण लाग्यु हतुं बे जीवने
ऋतु एक ज छे छतां पण एक जणनी आंख वरसादी हती
केम सागमटे हुं उर्मिने उलेचीने कदी थाक्यो नही?
आग त्यारे बेउना दिलमां बराबरनी कदी लागी हती
हाथ जाल्यो एमनो त्यारे समज आवी हती एवी मने
के हथेळीमानी कोइ एक रेखां अन्यनी हावी हती
कोइने पर्याय मारी सादगीनो कोइ काळे ना मळे
एक माणस काज मारी जातने छेपट लगी मापी हती
साव झांखा लागशे ज्यारे ह्रदयमां कोतरेला शब्द दोस्त
तो तने पण लागशे के लागणीओमा कमी राखी हती
प्रीत वरणागी बने तो चो-तरफ शोभी उठे झळहळ थई
साव खुल्ले आम शब्दोथी में सुंदरताने शणगारी हती
एकबीजामां सतत गुलतान रहेता आखरे नोखा पड्या
जेम झाकळ भर बपोरे फूलथी अळगी थई जाती हती
कोईने हदथी वधुं चाही जवुं आसान थोडुं छे सखी
ए “महोतरमाने” सघळी हद वटीने वटथी में चाही हती
-नरेश के. डोडीया
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