माणसने जिंदगीमा माणस विना रहेवुं केटलुं अधरू छे? Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia

माणसने जिंदगीमा माणस विना रहेवुं केटलुं अधरू छे? Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
माणसने जिंदगीमा माणस विना रहेवुं केटलुं अधरू छे? Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
माणसने जिंदगीमा माणस विना रहेवुं केटलुं अधरू छे?
खुदथी आगळ जइने बीजानुं बनवुं केटलुं आकरू छे? 

प्रेम,मित्रता,जेवा ढांचामां ढळीने जीववानुं
आपणू,पोतानु,बीजानु,त्राहीतनुं हित जाळवीने
संबंधोमां मेळववानी साथे गुमाववानुं केटलु??

आ मेळववानी अने गुमाववानी गणतरीमां
क्यारेक विचारीए के आपणा बांधेला संबधोमां
आपणा सैरवैयानो ताळामेळ बेसेे छे..?

अने ज्यारे विचारीए छीए के एक माणस छे
जे आपणी जिंदगीमां लागणीथी लइने संवेदना सुधी
आपणी पासेथी सतत लेतो रह्यो छे...
अने ए माणस दोस्तथी लइने प्रेमी सुधी फावे ते
व्याख्यामां फीट बेसी शके छे...

आपणी जिंदगीनां सैरवैयानां बधा ताळामेळ 
जे माणस खोटा पाडी ने एमा मोटा गाबडा पाडे छे.
ज्यां आंखो बंध करीने आपणी पासे जे कांइ छे
ए मांगे त्यारे आपवुं गमे छे.. 

आ रीते संबंधोमां देवाळीया बनी जवानुं 
बधानां नशीबमां होतुं नथी..

छेतराइ जवुं ए आपणी भूल छे..
अने सामे वाळानी चालाकी छे 
अने जाणी जोइने छेतराता रहेवुं
यह अंदर की बात है... 
ए बधा नथी समजी शकता..

कोक एकाद जण मळी जाय,
अंदर की बात समजनारो तो,
तो...महोतरमा, 
जिंदगी विरानमांथी उपवन बनी जाय छे..
-नरेश के.डॉडीया
Advertisement

No comments:

Post a Comment