ये तिलस्मी चांद जो रो रात को ख्वाबो मे आता है Hindi Kavita By Naresh K. Dodia
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ये तिलस्मी चांद जो रो रात को ख्वाबो मे आता है Hindi Kavita By Naresh K. Dodia |
ये तिलस्मी चांद जो रो रात को ख्वाबो मे आता है
आंखो मे एक अजब सा महेकता फुल खिलता हो जैसे
अरमानो की नगरी मे जैसे कोइ होली खेल रहा हो ऐसे
सितारे जेब मे भर लाते रंग कही तरह के हो जैसे.
उदासी के घेरे हर रंग मे एक जान भर जाता है ऐसे
दफन हुवे हर ख्वाब को फिर से जगा जाता हैं जैसे,
मिलाती आंख से आंख जैसे हर साज से नइ धुन हो एसे
आंखो आंखो मे हम संगीतकी नइ सरहद छु लेते हो जैसे.
वो प्यार ऐसे करता है जैसे ना किया किसीने ऐसे
वो बाहो मे लपकता है शर्दीमे कंबलका लिपटना हो जैसे
नशीली होती है रात जैसे मेरे साथ मैयखाना हो जैसे
पैमाने छलकते हर रंग ए नूर के उसकी आंखो मे हो जैसे.
जुल्फे रूखसार में एक काला जादु फेलाती देती है एसे
जलवा नजर आता है उसका नागिन कचुली छोडती हो जैसे
बेखोफ हुस्न का नजारा रोशनी फेलाता है सुरज हो ऐसे
रात यु ही कट जाती है मेरी एक नन्ही जिंदगी हो जैसे .
-नरेश के.डॉडीया
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