में गजल तेरी आंखो में लिखता Hindi Kavita By Naresh K. Dodia

में गजल तेरी आंखो में लिखता Hindi Kavita By Naresh K. Dodia
में गजल तेरी आंखो में लिखता Hindi Kavita By Naresh K. Dodia
जब शाम कें धुंधले साए उतर आते है
उस सांए के पीछे तेरी यादो की रोशनी
हिजाब पहन के चुपके से चली आती है

मुजे पीने का शोख पहेले कभी ना था
मुजे लिखने का तजुर्बा पहेले कभीना था
अब मै पी लेता कभी कभी तेरी यादो के साथ 
लिख भी लेता हुं जो मेरे दिल समजता है
लोग भी अब समजने लगे है कि में क्युं
लिखता हुं,
किस हाल में लिखता हुं

जब से तुं मेरी जिंदगी मे आइ है 
लोग ये भी जानते है अकेले मे क्युं
लिखता रहेता हुं..!

लिखता हुं एक दो मिसरा,
कुछ नजमे
कुछ आडी तेडी कविता,
कुछ भी लिखता हुं
तेरे नाम का क्यां जादुं चला है

महोतरमा,   
तुं मेरे पास नही होती फिर भी तेरे नाम से 
दिल सी निकली हर सच्चाइ कागज पे
गजल बन जाती है,
नजम बन जाती है
कुछ दिलकश और दिल को छु ले ऐसी
कविता बन जाती है

तुं मेरे से दूर रहेती है फिर भी लोग मेरी
गजल,कविता,नजम को दिल से
पंसद करते है

अगर तुं यहां होती तो...
सच में "महोतरमां" 
में गजल तेरी आंखो में लिखता
कविता तेरी उलजी लटो से चुराता
नजम तेरी नजाकत पे लिखता
लेकीन लोगो के लिये नही
सिर्फ और सिर्फ मेरे लिये...
-नरेश के.डॉडीया
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