जिंदगी मै कुछ रस्मे मैने ऐसी निभाइ है Hindi Kavita By Naresh K. Dodia

जिंदगी मै कुछ रस्मे मैने ऐसी निभाइ है Hindi Kavita By Naresh K. Dodia
जिंदगी मै कुछ रस्मे मैने ऐसी निभाइ है Hindi Kavita By Naresh K. Dodia
जिंदगी मै कुछ रस्मे मैने ऐसी निभाइ है
जो जिंदगी की किताब मे नही लिक्खी गइ है
हा..तुंम भी मेरी तरह ऐसी रस्मे निभाती रही,

एक दिन तुम मेरे सामने वो रस्मो को भूलकर
मुझे जिंदगी की किताब पढाने बेठ गइ थी…
और मै तो अपने असुलो पर चलने वाला
जिंदगी की किताब को पढने से मनां कर बेठा
जो रस्मे मेरे असुलो रास ना आये उसे पढकर
मुझे क्यां शीखने को मिलेगा

मेरे असुलो की किताब मै आज तक मैने
तोडना,मरोडना,छोडना,बिछडना जैसे अल्फाझ
नहीं लिखे है

और जिंदगी क्यां है?
वो भी तुम्हारी तरह एक दिन कुछ बोले बिना
मुझे छोडकर चली जायेगी
और बाकी रह जायेगी एक शायर की लिक्खी
कुछ नजमे,गजले और मेरी कुछ तस्वीरे

“महोतरमा” उस तस्वीर के निचे लिक्खा होगा
“जिंदगी की किताब की रस्मो को छोडकर
अपने असुलो की किताब की रस्मे निभाने वाला
एकलोतां शायर”
-नरेश के.डॉडीया

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