हम को तुम्हारे इश्कने दरियां बनां दियां Hindi Gazal By Naresh K. Dodia
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हम को तुम्हारे इश्कने दरियां बनां दियां Hindi Gazal By Naresh K. Dodia |
हम को तुम्हारे इश्कने दरियां बनां दियां
गुलजार थे हम,उस को भी सहरा बनां दियां
तौहीन करतां रहां शराबो की किसी तरह
जब से तुं गइ है तब से मय अपनां बनां दियां
तेरी गली मे रोज आना जाना थां मेरां
ना दोहराने की उसे घटनां बनां दियां
ताल्लुक नहीं रहा है हमांरे बीच फिर भी कयुं
तुम ने इसे सब के लिए चर्चां बनां दियां
मेरे अलावां कोइ तेरी जिंदगी में थां?
दुश्मन था वो,मैने उसे आश्ना बनां दियां
मेरे उसुल को छोडकर चाहा तुम्हे कभी
मेरे दिवानेपन को क्युं किस्सा बनां दियां?
मेरे तुम्हारे दरमिय़ां कुछ बात होती थी
उस को सजांकर नज्म से नग्मां बनां दियां
लडकी मिली थी कोइ शबनम की तरह मुझे
अलफाज पहेना के महोतरमां बनां दियां
- नरेश के.डॉडीया
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