hindi gazal by तुम्हारा वक्त मैं आबाद करना चाहता हुं naresh k. dodia
तुम्हारा वक्त मैं आबाद करना चाहता हुं
मैं होठो से लगा के जाम करनां चाहता हुं
मुझे फुरसत नहीं मिलती है दिन के वक्त में
तुम्हारी शाम को मैं रात करनां चाहता हुं
अभी मैं थक गया हुं रात दिन यादो से तेरी
तुम्हे इस बात से आगाझ करनां चाहता हुं
तुम्हे मेरी जरुरत इश्क के हर पल में होगी
तुम्हे तन्हाइ से बाकात करनां चाहतां हुं
हमारी एक आदत हैं तुम्हे ही चाहनें की
बदने से रुह में मेंरा राज करनां चाहता हुं
हकीकत भी कभी गजलो में लिखते हैं ये शायर
यहां आशिको की मैं बात करनां चाहता हुं
अभी तौबा नही की हैं तुम्हारी बेरुखी से
तुम्हारी इस अदा अखबार करनां चाहता हुं
महोतरमा हमारी बात पे भी गौर करनां
किसी भी बात पे तकरार करनां चाहता हुं
- नरेश के.डॉडीया
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