भीतर लगी क्षणनो सतत संचार छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia

भीतर लगी क्षणनो सतत संचार छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
भीतर लगी क्षणनो सतत संचार छे Gujarati Gazal By Naresh K. Dodia
भीतर लगी क्षणनो सतत संचार छे
लखता रहेवा कोइनो आभार छे

भीनुं सुकुं सघळुं ह्रदयमा साचवुं
मारी गझल रणथी नदीनो सार छे

अस्तित्वथी पर मानवी क्या शोधवो?
वखतो वखत माणस नवो आकार छे

कायम उगी ने आथमुं छुं सूर्य थइ
ने चांद साथे रोजनी तकरार छे

आभास जेवी लागणी नक्कर गणी
झांझवा जेवो एमनो व्हेवार छे

वरसे छता मारी तरस जारी रहे
मारी तरसमां चातकनो अणसार छे

एने वहेवानी फरज पाडी हती
दरिया ने रण वच्चे नदी लाचार छे

आ लागणी ने स्त्री वचाळे फर्क शुं?
घायल करे ए बेउनां औजार छे

लखशु नही तो दर्दनां उपचार शुं?
शब्दो-कलम,सघळो नवो आधार छे
-नरेश के.डॉडीया
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