हुं बधानां मोढे तारा वखाण सांभळुुं छुं Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
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हुं बधानां मोढे तारा वखाण सांभळुुं छुं Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia |
हुं बधानां मोढे तारा वखाण सांभळुुं छुं तो
क्यारेक तारा विशे मने ना गमतुं सांभळुं छु.
कोइ कहे छे तुं तो टहुका जेवुं बोले छे
कोइ कहे छे तुं तो बहुं ज मीठडी छे.
कोइ कहे तारा मोढे सरस्वती वसे छे
कोइ कहे छे तुं स्वभावे बहुं नरम छे
कोइ कहे छे तुं अन्नपूर्णा जेवी छे,
कोइ कहे छे तुं बहुं अभिमानी छे
कोइ कहे छे तने रूपनो घमंड छे
कोइ कहे छे बधाथी एक अंतर राखे छे
आ बधुं सांभळीने हुं तो अचंबित थइ जांउ छु
अने तारा जुदा जुदा स्वरूप
मारी नजरे आवता जाय छे
दुर्गा स्वरूप
चंडी स्वरूप
विदुषी स्वरूप
वगेरे वगेरे
छतां पण खबर नही तारूं एक स्वरूप जे
आज सुधी मारा सिवाइ लोको सामे आव्युं नथी
ए स्वरूपे ज्यारे मारी सामे छे त्यारे
हुं आ बधुं भूलीने
फकतने फकत मने तारामय बनी जवां मजबूर करे छे
ए छे "महोतरमां" तारूं प्रेमनी देवीनुं स्वरूप
बिलकुल निर्दोष अने एक मुग्ध किशोरी जेवुं
जेनां एक स्मित उपर
जिंदगी पाथरी देवानुं मन थइ जाय
जेनां आशीर्वाद रूपी प्रेमनां कारणे
मने बधा ओळखे छे.
-नरेश के.डॉडीया
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