प्रेम एटले शुं आम तो समजवुं अधरुं छे Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia

प्रेम एटले शुं  आम तो समजवुं अधरुं छे Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
प्रेम एटले शुं  आम तो समजवुं अधरुं छे Gujarati Kavita By Naresh K. Dodia
प्रेम एटले शुं 
आम तो समजवुं अधरुं छे
छता पण मने लाग्यु के,

प्रेम एटले
तारा प्रत्यक्ष अथवां परोक्ष सानिध्यमां
मने 
शंकारहित साधुं जेवो अने
एक बाळक जेवो निर्दोष 
बनी जवां मजबूर करनांर 
एक एवुं तत्व

जे प्रेमीनी
पळ पळनी खूशी साथे जोडायेलुं छे.
कदाच एटले तुं के हुं ज्यारे पण 
खूश होइए छीए त्यारे
ज्यारे ह्रदयमांथी उर्मिनुं एक निंतात,निसिम 
संतोषने अनूभव करतुं एक स्पंदन 
एटले प्रेम 
-नरेश के.डॉडीया
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