वो ऐसां शख्स है जिस को गजल कां झायकां दुं Hindi Gazal by Naresh K. Dodia
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वो ऐसां शख्स है जिस को गजल कां झायकां दुं Hindi Gazal by Naresh K. Dodia |
वो ऐसां शख्स है जिस को गजल कां झायकां दुं
में उर्दु से बनांइ मीसरी बानी चखां दुं
कभी औकात अपनी देख लो आंखो से अपनी
कभी ऐसा ना हो तुझ को सलीके से भूला दुं
सुखनवर तो गुलाबो की जबां मे बोलतां है
वोबरगद की तरह नहिं है जहां चाहा उगा दुं
नज़ाकत जिस को उर्दु की कभी मालुम नही है
गजल पढने कां हुन्नर उस को कैसे मे बतां दुं?
सलीका दाद का मालुम नही उस शख्स को दोस्त
ये महेफिल मे उसे आने की कैसे मै रजा दुं
कभी दिल तोडनां सीखा नही है इश्क़ कर के
कभी वो बेवफा मिले सीने अपने लगा दुं
यहां कां शर्द मौसम कुछ पुरानी याद लायां
सीने मे जल ती है वो आग कां तुम को धुंवां दुं
"महोतरमा" तुम्हारी बंदगी करतां हुं में रोज
कभी आओ जूनू ए इश्क की गेबी मजां दुं
- नरेश के. डोडीया
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