पसंद करने के लिए जहां भरपूर विकल्प मिलते है Hindi Kavita By Naresh K. Dodia
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पसंद करने के लिए जहां भरपूर विकल्प मिलते है Hindi Kavita By Naresh K. Dodia |
पसंद करने के लिए जहां भरपूर विकल्प मिलते है
उसी माहोल में जो दिल दिमाग में तय है
सिर्फ वोही चाहिए ऐसां मेरां रवैयां रहां है..
कभी दोस्तो के साथ महेफिल जमती है
कभी बार में जातां हुं
तब मे सिर्फ ब्लेक लेबल व्हिशकी पीतां हुं
अगर नही है तो कोल्ड ड्रींकस से काम चलातां हुं
कभी चमन में जातां हुं
नां जाने कयुं मुझे देखकर सब फूलो के चहेरे पे
एक शरारत भरी मुश्कान आ जाती है
जब में उस के नजदिक से गुझरतां हुं
कोइ फूल मेरे हाथ से टकरां जाते है
कोइ फूल मेरे कंधे पे झूक जाते है
कोइ फूल खुद डाली को छोडकर मेरे साथ आने को
मचल जाते है
फिर भी ना जाने कयुं ये सभी रंगबेरंगी अलग अलग
किसम के फूलो में मुझे दिलचस्पी नही रहती है
तब भी मेरी तलास पर्पल रंग के टयुलिप के फूल की रहती है
इस तरह हुस्न की वादीओ में कही हंसीन चहेरे की
जल्वारेज मुस्कान मुझे लुभाने की कोशिश करती है
फिर भी मेरी नजर सिर्फ और सिर्फ "महोतरमा" की
मुश्कान कें लिए इधर उधर भटकती रहती है
मेरी तबियत से सभी की तबियत नही मिलती
शायद यही वजह रही होगी...
शायद ये दिल भी एक बच्चे जैसा जीद्दी बन गयां है
या तो महोतरमां चाहिए,नही तो कुछ भी नही चाहिए
- नरेश के.डॉडीया
Labels:
Hindi Kavita
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