कुछ हिंदी शेर by नरेश के.डॉडीया
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कुछ हिंदी शेर by नरेश के.डॉडीया |
जिस के लिए बांहे मेरी रो रही है
मेरी नजर से दूर कही सो रही है
- नरेश के. डोडीया
तुं अपने आप को मुझ से जुदा कर सकता हैं
मुझे मालूम है सूरज की तरह ढल सकता है
- नरेश के. डोडीया.
मैं उन की बातो में कैसे आ गया था मालूम नहीं
इश्क़ करने का इरादा था वो इतनी मासूम नहीं
- नरेश के. डोडीया
तुम्हारे बाद जितने लोग मेरी ज़िन्दगी में आये थे
सभी लोगोंने किस्से अपनी बरबादी के ही सुनाये हैं
- नरेश के. डोडीया
किसी को आइना दिखा के आया हूँ
मै अपनी हैसियत समझा के आया हूँ
- नरेश के. डोडीया
शिकायत भी यहाँ करने की कुछ तहज़ीब होती हैं
बिना मुस्कान का चहेरा हो तो तकलीफ होती हैं
- नरेश के. डोडीया
हमारे ख़्वाब में आने की भी फुरसत नहीं है अब
कभी मुझ को वो अपनी जिंदगी कहके बुलाती थी
- नरेश के. डोडीया
में तो लोबान जैसी एक खुशबू हूँ
बदन में अपने मेरा दबदबा कर दे
- नरेश के. डोडीया
सुना हैं की अकेलेपन से इतनी आप थक गई है
मेरी तस्वीर सिने से दबा के रोज रखती हैं
- नरेश के. डोडीया
जोखिम हैं मुश्किल हैं मगर ये इश्क़ जारी हैं
जो भी हो हम दोनो के बिच एक यारी हैं
- नरेश के. डोडीया
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sher
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